कविता से
कुछ रास्ते हम चलते नही थकते,
कुच पल रुकाये नही रुकते,
याद बन गया हर वो लम्हा,
स्कूल के दिन वापस नही मिलते....
वो स्कूल का ग्राउंड,
वो सी-सो हमारा,
आज भी याद है,
वो क्लास रूम हमारा...
वो पेन्सील के लिये लढना झगडना,
दोस्तो का वो रूठना मनाना,
बर्थडे के दिन नयी ड्रेस पेहेंना,
हर पल में बस खुशिया मनाना...
होमेवोर्क पुरा हो तो
फस्ट बेंच के लिये झगडना,
वर्ना बुक भूलने के बहाने बनाना...
प्ले अवर का वो सबसे बडा इंतजार,
और उसका चुटकियो में निकल जाना,
ऑटो में बैठ कर फिर,
बोर्नविटा के खयालो में खो जाना....
वो जितना हारना,
वो बालों को खिचना,
याद है मुझे,
हर पल वो सुहाना...
वो छुट्टी में हमारा,
ड्रोइंग् क्लास लगाना,
वो बटरफ्लाय वो गुलदस्ता बनाना,
वो विडीओ गेम हमारा,
वो ताश का घर बनाना...
वो घर टूट गया,
वो बचपन बीत गया,
बोहोत सारी प्यारी प्यारी यादे दे गया,
वो बचपन मेरा चुपके से चला गया.....